24 September 2019

                


अपने ग्राहक को जानिए : KYC मानदंड


                                                                            - अपूर्व वैष्णव


दि हम वर्तमान परिवेश में किसी मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता रोटी, कपड़ा और मकान को सम्मिलित करे तो यह अर्ध सत्य होगा। इस सूची मै बैंक अकाउंट और इंटरनेट को जोड़े बिना यह सूची अपूर्ण ही होगी। ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से बैंक और बैंकिंग से जुड़ा हुआ न हो। जीवन की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हम किसी न किसी रूप से बैंक या बैंकिंग सेवाओं पर निर्भर है। बैंक से जुड़ने हेतु पहली आवश्यकता है खाता खुलवाना यदि हम दो दशक पहले की बात करे, तो खाता खुलवाने के लिए केवल एक परिचय आवश्यक था। अर्थात बैंक का कोई भी पुराना ग्राहक यदि आपकी पहचान कर देता था तो यह खाता खुलवाने हेतु पर्याप्त था।
साल 2002 मे एंटी मनी लौंडरींग (एएमएल) अधिनियम आने के उपरांत परिस्थितियों मे परिवर्तन आया। एंटी मनी लॉन्ड्रिंग (एएमएल) और आतंकवाद के वित्तपोषण (सीएफटी) के संबंध में किए जाने वाले निरोधकारी एवं निवारक उपायों के सहायक के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक ने, बैंकों को, अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानकों के अनुपालन हेतु निर्दिष्ट किया एवं इसे आवश्यक बना दिया। आज यह नया शब्द केवाईसी हर आमजन के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। आज बैंक में खाता खोलने के अलावा लोन लेने, लॉकर लेने, क्रेडिट कार्ड बनवाने, म्यूचुअल फ़ंड खरीदने, पोस्ट ऑफिस तथा बीमा आदि लेने पर अपने ग्राहक को पहचनिये दिशानिर्देशों के पूर्ण अनुपालन की
आवश्यकता पड़ती है। इन सबके अलावा अगर आप कोई मोबाइल सिम कार्ड भी लेते है तो भी, अपने ग्राहक को पहचनिये दिशानिर्देशों के पूर्ण अनुपालन कराना पड़ता है| सरल शब्दों में कहे तो अपने ग्राहक को पहचनिये दिशानिर्देशों का अनुपालन ग्राहकों के बारे में पूर्ण एवं प्रपत्रों
पर आधारित जानकारी प्राप्त करने की एक सामान्य प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया मूलभूत रूप से प्रपत्रों पर आधारित है। बैंक, बीमा कम्पनी एवं वित्तीय संस्थाएँ ग्राहकों को अपनी सेवाएँ देने से पहले उसकी पहचान करना चाहती है। इस प्रक्रिया के लिए ये संस्थाएँ, केवाईसी के द्वारा ये ग्राहक की पहचान और उसका पते का सत्यापन करती है| अपने ग्राहक को पहचनिये दिशानिर्देशों का अनुपालन द्वारा व्यक्ति और उसके पते की पहचान सुनिश्चित होती है, और वित्तिय संस्थाएँ इस बात से आश्वस्त हो जाती हैं कि के आवेदक द्वारा जो भी
दस्तावेज दिये गये हैं, वे सही हैं। यदि विस्तार से देखे तो खाता खोलते समय निम्न प्रपत्र एवं विवरण आवश्यक है। व्यक्तिगत खातों के मामले
खाता खोलते समय निम्नलिखित प्रपत्र एवं जानकारी प्राप्त की जाती है:
(ए) स्थायी खाता संख्या (पैन) या फॉर्म नंबर ६० (छोटे खातों को छोड़कर)
(बी) फोटोग्राफ; तथा
(ग) उसकी पहचान और वर्तमान पते के प्रमाण के रूप में, निम्नलिखित आधिकारिक वैध दस्तावेजों (ओवीडी)
की कम से कम एक प्रति
(i) पासपोर्ट,
(ii) ड्राइविंग लाइसेंस,
(iii) आधार संख्या
(iv) भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी मतदाता पहचान पत्र,
(v) राज्य सरकार के किसी अधिकारी द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित द्वारा जारी किया गया - नरेगा जॉब कार्ड,
(vi) राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर द्वारा जारी किया गया पत्र जिसमें नाम और पते के विवरण दर्ज़ है।
यदि ग्राहक द्वारा प्रस्तुत आधिकारिक वैध दस्तावेजों (ओवीडी) में अद्यतन पता नहीं है, उदाहरणार्थ
यदि सतना का मूल निवासी, उज्जैन में नौकरी जॉइन करता है एवं वर्तमान में, उज्जैन में ही निवास करता है
और स्थानीय बैंक में खाता खुलवाना चाहता है तो निम्नलिखित दस्तावेजों को पते के प्रमाण(सीमित समय) हेतु
के लिए आधिकारिक वैध दस्तावेजों (ओवीडी) माना जाएगा:


(i) किसी भी सेवा प्रदाता द्वारा प्रदत उपयोगिता बिल जो की दो महीने से अधिक पुराना नहीं हो (बिजली,
टेलीफोन, पोस्ट-पेड मोबाइल फोन, पाइप्ड गैस, पानी का बिल);
(ii) संपत्ति या नगरपालिका कर रसीद;
(iii) सरकारी विभागों या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के सेवानिवृत्त कर्मचारी को जारी किए गए पेंशन या
पारिवारिक पेंशन भुगतान आदेश (पीपीओ), यदि उसमे उनका पता अंकित है;
(iv) राज्य सरकार या केंद्र सरकार के विभाग, वैधानिक या नियामक निकाय, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम,
अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, वित्तीय संस्थानों, सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा जारी नियोक्ता से आवास के आवंटन
का पत्र [बशर्ते कि ग्राहक उपरोक्त दस्तावेज जमा करने के तीन महीने के भीतर वर्तमान पते के साथ अपडेट किए गए
ओवीडी को प्रस्तुत करेगा]
बैंक एवं वित्तीय संस्थानों में केवाईसी / एएमएल / सीएफटी नीति के निम्नलिखित प्रमुख तत्व हैं:
(ए) ग्राहक स्वीकृति नीति;
(बी) जोखिम प्रबंधन;
(सी) ग्राहक पहचान प्रक्रिया (CIP); तथा
(डी) लेन-देन की निगरानी
ग्राहक स्वीकृति नीति: बैंक/वित्तीय संस्थान किसी भी व्यक्ति को ग्राहक के रूप मे स्वीकार करेगा या नहीं, यह
निर्णय मूलरूप से इसी नीति द्वारा लिया जाता है। विशिष्ट परिस्थितियाँ जैसे बेनामी, व्यक्तिगत आतंकवादी या आतंकवादी संगठन, केवाईसी प्रमाण का अभाव, आपराधिक मामलों मे संलिप्त व्यक्ति (ड्रग्स, अवैध हथियार, मानव तस्करी),पूर्व में वित्तीय धोखाधड़ी का
प्रकरण दर्ज हो इत्यादि प्रकरणों में बैंक, किसी भी व्यक्ति का खाता खोलने से मना कर सकता है। ग्राहक स्वीकृति नीति को अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। परंतु इस नीति और उसका कार्यान्वयन बहुत अधिक प्रतिबंधात्मक नहीं होना चाहिए कि इसके परिणामस्वरूप आम जनता बैंकिंग सेवाओं से वंचित हो जाए, विशेष रूप से वो लोग जो आर्थिक या सामाजिक रूप से वंचित है।
जोखिम प्रबंधन: जोखिम प्रबंधन के लिए बैंक ने एक जोखिम आधारित दृष्टिकोण अपनाया है। इस दृष्टिकोण
के अनुसार,
(क) ग्राहकों को निम्न, मध्यम और उच्च जोखिम श्रेणियों के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
(ख) जोखिम का वर्गीकरण ग्राहक की पहचान, व्यवसाय, वित्तीय स्थिति, व्यावसायिक गतिविधि की प्रकृति जैसे
मापदंडों के आधार पर किया जाता है।
ग्राहक पहचान प्रक्रिया: ग्राहक की पहचान के लिए, विश्वसनीय, स्वतंत्र स्रोत, दस्तावेजों, डेटा या सूचना का उपयोग करके उसकी पहचान की पुष्टि करना आवश्यक है। ग्राहक की पहचान करना और संतुष्ट होने के लिए ग्राहक पहचान प्रक्रिया (सीआईपी) की पहली आवश्यकता यह है कि एक संभावित ग्राहक वास्तव में वह है जो वह होने का दावा करता है। केवाईसी उद्देश्य के लिए 'अनिवार्य' जानकारी, जिसे ग्राहक खाता खोलने के समय या आवधिक अपडेशन के दौरान देने के लिए बाध्य है । ग्राहक से एकत्र की गई इस जानकारी को गोपनीय माना जाना है और ग्राहक कीअनुमति के बिना इस विवरण का उपयोग क्रॉस सेलिंग या किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया जाएगा। लेन-देन की निगरानी: लेन-देन की निगरानी प्रभावी केवाईसी / एएमएल प्रक्रियाओं के अनुपालन का एक अनिवार्य तत्व है। ग्राहकों के लेनदेन उनकी व्यक्तिगत प्रोफ़ाइल, व्यवसाय / जोखिम प्रोफ़ाइल और स्रोत के अनुरूप होने चाहिए। उदाहरणत: यदि एक दिहाड़ी मजदूर के खाते मे लाखों के लेन देन हो रहे है तो यह संदेहास्पद है इसकी निगरानी और रिपोर्टिंग आवश्यक है। वर्तमान समय में अपने ग्राहक को जानिए दिशानिर्देशों का अनुपालन, समस्त बैंकों के लिए एक चुनौती बनता जा रहा है। चूंकि इसका अनुपालन देश हित से जुड़ा है अत: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एवं केंद्र सरकार इस हेतु अत्यंत गंभीर है। विगत वर्षों में इसके अनुपालन मे हुई त्रुटि के लिए दंडात्मक कार्यवाही भी की जा चुकी है। वर्ष- 2017 मे आरबीआई ने एक बैंक पर, अपने ग्राहक को पहचनिये दिशानिर्देशों के अनुपालन मे कोताही बरतने के लिए तीन करोड़ का जुर्माना लगाया था। इसी प्रकार के एक अन्य घटनाक्रम मे भारत सरकार ने कंपनियों के 21 लाख निदेशकों के डीआईएन (डायरेक्ट आइडेंटिफिकेशन नंबर ) को निरस्त कर दिया था, एवं इन्हे पुनर्स्थापित करने हेतु प्रति डीआईएन 5000 का दंड का लगाया था। अपने ग्राहक को पहचनिये दिशानिर्देशों की एतिहासिक पृष्ठभूमि की बात करे तो अमेरिका के ट्विन टावर पर हुआ आतंकी आक्रमण, केवाईसी अनुपालन को पूरी गंभीरता से लागु करने एवं करवाने का प्रमुख कारण रहा। इस समय तक वैश्वेशिक परिवेश मे आतंकवाद, काला धन एवं भ्रष्टाचार प्रमुख मुद्दों के रूप में उभर कर सामने आ चुके थे। अंतराष्ट्रीय परिदृश्य मे सभी देश, इन तीन मुद्दों से अत्यधिक प्रभावित हो रहे
थे। ये तीनों मुद्दे अलग अलग परिलक्षित होते है परंतु गहराई से विश्लेषण करने पर हम पाते है की ये तीनों वस्तुत एक दुसरे पर निर्भर एवं आपस मे गुथें हुए है। काला धन भ्रष्टाचार की देन है, एवं भ्रष्टाचार से कमाया हुआ धन ही आतंकवाद को बढ़ावा देने के उपयोग मे आता रहा है। इन मुद्दों के निवारण मे अपने ग्राहक को जानिए दिशानिर्देशों का पूर्ण अनुपालन, एक महती भूमिका निभा सकता है।
वस्तुतः अपने ग्राहक को जानिए दिशानिर्देशों के अनुपालन का प्रभाव बहुत ही विस्तृत एवं व्यापक हो सकता है। ट्विन टावर पर हुआ आतंकवादी हमले मे उपयोग हुए सारे संसाधनों को काले धन, एवं बेनामी लेन देन के द्वारा ही आतंकवादियों को उपलब्ध करवाया गया था। आज विकासशील देशों की समस्याओं की बात करे तो विकास का सबसे बड़ा बाधक भ्रष्टाचार एवं भ्रष्टाचार से उत्पन्न काला धन है। काला धन केवल कर वंचना से ही उत्पन्न नहीं होता वरन ड्रग्स, अवैध हथियारों, मानव तस्करी एवं देह व्यापार जैसे घृणित कार्यो से भी इसका गहरा नाता है। भारत देश ने अपने ग्राहक को जानिए दिशानिर्देशों का अनुपालन के नियम को कड़े बनाकर ना केवल काले धन एवं भ्रष्टाचार पर लगाम लगायी गयी वरन उपरोक्त वर्णित सभी अमानवीय कृत्यों के विरुद्ध भी एक बड़ा कदम उठाया है।



- अपूर्व वैष्णव


मुख्य प्रबंधक एवं संकाय ( SBI )


( ये लेखक के निजी विचार है )


विश्वप्रसिद्ध ज्योतिषी


आचार्य राघवकीर्ति गणेश


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