आजकल भागमभाग तनाव भरी जिंदगी में हर कोई परेशान हैं । एक सरल उपाय जिसे श्रद्धा से करने पर धनात्मक ऊर्जा मिलेगी,पितृ कृपा प्राप्त हो सकती हैं,ईश्वरीय मदद मिलेगी । 28 सितंबर को शनैश्चरी अमावस्या का दुर्लभ पर्व हैं। इस अवसर पर किए जाने वाले जप हवन कई गुना लाभकारी होते हैं ।इस संबंध में विश्वप्रसिद्ध ज्योतिष और तंत्र विशेषज्ञ आचार्य राघवकीर्ति गणेश ( 9755910000 ) का कहना हैं कि शनैश्चरीय अमावस्या दरिद्रतानाशक और मंगलदायक है,इस दिन न्याय और समरसता के प्रधान देवता श्री शनिदेव के किसी मंत्र का जप करना चाहिए । पीपल के वृक्ष की जड़ को जल से सींचे,जड़ का स्पर्श कर धन सुख की प्रार्थना करें,घर में अपने पितरों के निमित्त,अपने कुलदेवता और कुलदेवी के निमित्त श्रीफल ( नारियल ) चढ़ावें,घृत + नारियल की गिरी + शक्कर से अलग अलग पात्रों में रखी अग्नि में पांच पांच आहुति दें,अपनी गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना करें,सुख श्री समृद्धि की कामना करें,तो इस विधि से पूजा करने से सभी प्रकार के पितृ दोषों का शमन और समस्याओं का निवारण होता है,यदि ज्यादा ही समस्या विकट हो तो यह प्रयोग लगातार पांच अमावस्या करना चाहिए
ॐ नीलांजनं समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् ।
छायामार्तंड संभूतम् तं नमामि शनैश्चरं ।।
शं शनैश्चराय नमः
आचार्य राघवकीर्ति गणेश नें आगे चर्चा में बताया कि श्री शनि संबंधित जप और दान के कुछ प्रतिबंध हैं जिनमें आकाश में सूर्य की उपस्थिति में शनि संबंधित जप/दान नहीं करनें,श्रम करने वालों का शोषण नहीं करने और बुजुर्गों का अपमान नहीं करना हैं ।क्योंकि सूर्यपुत्र शनिदेव अपने पिता की उपस्थिति में कोई दान पूजा स्वीकार नहीं करते,वे परंपरा के संवाहक देवता हैं। वृद्ध जनों,विद्वानों का अपमान उन्हें पसंद नहीं हैं। मंत्र जप के पश्चात किसी भी भूखे/अभावग्रस्त व्यक्ति को भोजन अवश्य देना चाहिए ।